♦ दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में विश्व खाद्य दिवस का आयोजन
रायपुर। शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला महाविद्यालय में गृह विज्ञान विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में 16 अक्टूबर को प्राचार्य डॉक्टर किरण गजपाल के नेतृत्व एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. उषा किरण अग्रवाल के मार्गदर्शन एवं गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि मिंज की अध्यक्षता में विश्व खाद्य दिवस का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर व्याख्यान माला एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए गृह विज्ञान विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ. रश्मि मिंज ने कहा कि आधुनिकता की अंधी दौड़ में संपूर्ण विश्व में ही भूमिगत जल का अपरिमित दोहन हुआ एवं खाद्य संबंधी आदतों में भी वृहद स्तर पर परिवर्तन देखे गए। जिसका नतीजा आज यह है कि हमें विश्व के कई देशों में जल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है तथा खाद्य संबंधी बुरी आदतों के फल स्वरुप सारा विश्व विभिन्न प्रकार की बीमारियों से जूझ रहा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी बताया कि हमारे महाविद्यालय में पहले भूमिगत जल की समस्या उत्पन्न हुई थी जिसे वृहद स्तर पर रेनवाटर हार्वेस्टिंग करके दूर किया गया एवं अब महाविद्यालय का जलस्तर गर्मी के मौसम में भी अच्छा रहता है।
उनके उपरांत डॉ. वासु वर्मा ने भोजन एवं जल को बचाने हेतु छोटी-छोटी सावधानियां के विषय में बताते हुए कहा कि जितना आपको खाने का मन हो, उतना ही भोजन लिया जाए। एक दाना भी अनाज का व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।
गृह विज्ञान विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अभया जोगलेकर ने बताया कि वैश्विक स्तर पर भोजन एवं जल की कमी की समस्याएं देखी जा रही है। दक्षिण अफ्रीका एवं दुबई जैसे देशों में पानी अधिक कीमत पर खरीदना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि हम अपने देश में पानी की बचत करने के लिए छोटे-छोटे उपाय का सहारा ले सकते हैं एवं ऐसी खाद्यान्न फसलें जिनमें पानी का प्रयोग अधिक किया जा रहा है। उनका उपयोग कम किया जाए। उसकी जगह पर मोटे अनाजों का प्रयोग किया जा सकता है जो कम पानी के प्रयोग से ही उगाई जा सकती हैं एवं उनमें किसी प्रकार की कीटनाशकों एवं दवाइयां की भी आवश्यकता नहीं होती।
डॉ. अनुभा झा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि पहले पानी को एक पोषक तत्व नहीं माना जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों में पानी के ऊपर काफी खोज की गई तो यह पाया गया कि जिस प्रकार सभी पोषक तत्व संतुलित मात्रा में ही होने चाहिए उसी प्रकार पानी भी कम या अधिकता में नहीं लिया जाना चाहिए वरना उसके दुष्परिणाम हो सकते हैं।
डॉ. अलका वर्मा ने अपने व्याख्यान में बताया कि हम अपने घर में छोटी-छोटी सावधानियां रखकर जल की काफी मात्रा बचा सकते हैं जैसे सभी के घर में आरओ वॉटर प्यूरीफायर लगा होता है जिसमें एक गिलास पानी के लिए तीन गिलास पानी व्यर्थ बहाया जाता है यदि हम उस व्यर्थ पानी को जमा करके घर के काम में प्रयोग कर सके तो इससे पानी की काफी बचत हो सकती है।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती ज्योति मिश्रा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रेखा दीवान ने करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से ही पानी को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। उन्होंने रहीम का उदाहरण देते हुए कहा –
रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥