0 विप्र कॉलेज में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कार्यशाला
रायपुर। 3 जुलाई। विप्र कला ,वाणिज्य एवं शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय मे छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुगम क्रियान्वयन और संवेदीकरण “विषय के अंतर्गत कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं प्रमुख वक्ता प्रो. समीर भार्गव (विभाग अध्यक्ष महाराजा मानसिंह महाविद्यालय ग्वालियर) ने मध्य प्रदेश में लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पूरी प्रक्रिया को विस्तार पूर्वक समझाते हुए बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य मैकाले की क्लर्क बनाने वाली शिक्षा पद्धति को पूर्णता समाप्त करना है ।राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विद्यार्थियों को पूर्णता स्वावलंबी बनाने के लिए कौशल विकास पर जोर दिया गया है। यह भारत सरकार का बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट है।उन्होंने बताया कोरोना काल में भी हिम्मत करके राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है। इस वर्ष 3 वर्ष की डिग्री पूरा करके पहले बैच का परिणाम आ चुका है ।प्रो. समीर भार्गव ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए प्राध्यापकों को परिवर्तन के लिए तैयार होना होगा और इसके हिसाब से अपनी तैयारी करनी होगी। उसके बाद ही विद्यार्थियों का मार्गदर्शन संभव हो सकता है। इस अवसर पर डॉ. गिरीशकांत पांडेय (पूर्व कुलसचिव पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर) ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2050 तक के लिए लागू किया गया है तथा इसका विश्लेषण 2040 के बाद ही किया जा सकता है। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार विद्यार्थियों को तैयार करने की पूर्णता जिम्मेदारी शिक्षकों की है। इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए विप्र कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने बताया कि वर्तमान सत्र से छत्तीसगढ़ के महाविद्यालय में लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर महाविद्यालय के शिक्षकों से चर्चा करके शिक्षा नीति के उद्देश्यों के अनुसार विद्यार्थियों के लिए महाविद्यालय के शैक्षणिक वातावरण को अनुकूल बनाना उपरोक्त व्याख्यान माला का उद्देश्य है। क्योंकि मध्य प्रदेश भारत का पहला राज्य है जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सर्वप्रथम लागू किया गया। अतः वहां के वरिष्ठ प्रोफेसर समीर भार्गव का अनुभव निश्चित ही हमारे लिए लाभदायक होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में आने वाले व्यावहारिक समस्याओं को ज्यादा अच्छे से हम उनके द्वारा समझ सकते हैं ।इस अवसर पर विप्र कॉलेज समस्त प्राध्यापक उपस्थित रहें।