अगरतला। रबर ने त्रिपुरा में सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव किया है । यह अब राज्य में सबसे अधिक सामाजिक रूप से स्वीकार्य और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बागान फसल है । इसने अपने सामाजिक महत्व के साथ बागान गतिविधि के आर्थिक मूल्य को मजबूत किया है। त्रिपुरा में रबर, अपने व्यावसायिक मूल्य के अलावा, ग्रामीण विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह ऐसी सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को जन्म देता है, जिसके इर्द-गिर्द कभी शिफ्टिंग काश्तकारों के लिए पुनर्वास परियोजनाएँ लाई गई थीं । भूमि उपयोग पैटर्न को भी नए सिरे से परिभाषित किया गया। ऐसा कहा जाता है कि इस फसल ने कभी राज्य में उग्रवाद को कम करने में मदद की थी ।

छत्‍तीसगढ़ की मीडिया टीम ने आज, त्रिपुरा के गोमती जिले में स्थित बागमा रबर प्‍लान्‍टेंशन और सामुदायिक रबर प्रोसेसिंग सेंटर का भ्रमण किया । इस दौरान टीम ने रबर प्‍लांट कटिंग, रबर कलेक्‍शन और रबर शीट मेकिंग प्रोसेस का अवलोकन किया ।

इस अवसर पर रबर बोर्ड, भारत सरकार के स्‍थानीय प्रभारी विकास अधिकारी श्री अरूणाभ मजूमदार ने बताया कि त्रिपुरा में रबर लगभग 1,10,648.57 हेक्टेयर क्षेत्रफल लगाया है, जिसमें से लगभग 82,986.75 हेक्टेयर उपज अवस्था में है । रबर का उत्पादन लगभग 1,10,717 मीट्रिक टन होता है। उन्‍होंने बताया कि भारत में रबर से 46 हजार सामानों का निर्माण होता है । श्री मजूमदार ने बताया कि त्रिपुरा में मलेशियन क्‍लोन के प्‍लांट लगाए गए हैं । ये प्‍लांट 07 साल में रबर का उत्‍पादन करना शुरू कर देते हैं ।

उन्‍होंने बताया कि त्रिपुरा में प्राकृतिक रबर उत्‍पादन ने महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है । राज्य वन विभाग द्वारा 1963 में इसकी शुरूआत की गयी थी । केरल के बाद त्रिपुरा देश में प्राकृतिक रबर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है, जो भारत के कुल उत्पादन का लगभग 9% है । देश में केरल के बाद त्रिपुरा में दूसरा सबसे बड़ा रबर उत्पादक क्षेत्र भी है ।

श्री मजूमदार ने बताया कि रबर उत्‍पादन के क्षेत्र में लगभग 01 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं । त्रिपुरा में प्रति हेक्‍टेयर 1350 किलोग्राम रबर का उत्‍पादन होता है, जबकि केरल में औसतन 1553 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर रबर का उत्‍पादन किया जाता है । उन्‍होंने बताया कि गोमती जिले में 65 रबर उत्‍पादक सोसायटी हैं, जिनमें से अधिकांश सोसायटी का वार्षिक टर्नओवर 01 करोड़ रूपए से ज्‍यादा । श्री मजूमदार ने बताया कि त्रिपुरा में उत्पादित प्राकृतिक रबर का लगभग 99% शीट रबर, भारतीय मानक प्राकृतिक रबर (ISNR) / ब्लॉक रबर और सेंट्रीफ्यूज्ड लेटेक्स (सेनेक्स) जैसे विभिन्न विपणन योग्य रूपों में संसाधित किया जाता है ।

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आरडीजे/पीएनएस